Summary
I Shall teach you this knowledge in full together with action; for a person who has known this there remains in this world nothing else to be known.
पदच्छेदः
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ज्ञानं | ज्ञान (२.१) |
ते | त्वद् (४.१) |
ऽहं | मद् (१.१) |
सविज्ञानमिदं | स (अव्ययः)–विज्ञान (२.१)–इदम् (२.१) |
वक्ष्याम्यशेषतः | वक्ष्यामि (√वच् लृट् उ.पु. )–अशेषतस् (अव्ययः) |
यज्ज्ञात्वा | यद् (२.१)–ज्ञात्वा (√ज्ञा + क्त्वा) |
नेह | न (अव्ययः)–इह (अव्ययः) |
भूयो | भूयस् (अव्ययः) |
ऽन्यज्ज्ञातव्यमवशिष्यते | अन्य (१.१)–ज्ञातव्य (√ज्ञा + कृत्, १.१)–अवशिष्यते (√अव-शिष् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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ज्ञा | नं | ते | ऽहं | स | वि | ज्ञा | न |
मि | दं | व | क्ष्या | म्य | शे | ष | तः |
य | ज्ज्ञा | त्वा | ने | ह | भू | यो | ऽन्य |
ज्ज्ञा | त | व्य | म | व | शि | ष्य | ते |