Summary
But, that fruit of those men of poor intellect is finite. Those, who perform sacrifices, aiming at the gods, go to gods, and My devotees go to Me.
पदच्छेदः
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अन्तवत्तु | अन्तवत् (१.१)–तु (अव्ययः) |
फलं | फल (१.१) |
तेषां | तद् (६.३) |
तद्भवत्यल्पमेधसाम् | तद् (१.१)–भवति (√भू लट् प्र.पु. एक.)–अल्प–मेधस् (६.३) |
देवान्देवयजो | देव (२.३)–देव–यज् (१.३) |
यान्ति | यान्ति (√या लट् प्र.पु. बहु.) |
मद्भक्ता | मद्–भक्त (१.३) |
यान्ति | यान्ति (√या लट् प्र.पु. बहु.) |
मामपि | मद् (२.१)–अपि (अव्ययः) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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अ | न्त | व | त्तु | फ | लं | ते | षां |
त | द्भ | व | त्य | ल्प | मे | ध | साम् |
दे | वा | न्दे | व | य | जो | या | न्ति |
म | द्भ | क्ता | या | न्ति | मा | म | पि |