Summary
Being surrounded by the trick-of-yoga-Illusion, I am not clear to all; [and hence] this deluded world [of perceivers] does not recognise Me, the unborn and the undying.
पदच्छेदः
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नाहं | न (अव्ययः)–मद् (१.१) |
प्रकाशः | प्रकाश (१.१) |
सर्वस्य | सर्व (६.१) |
योगमायासमावृतः | योग–माया–समावृत (√समा-वृ + क्त, १.१) |
मोहितं | मोहित (√मोहय् + क्त, १.१) |
नाभिजानाति | न (अव्ययः)–अभिजानाति (√अभि-ज्ञा लट् प्र.पु. एक.) |
मामेभ्यः | मद् (२.१)–इदम् (५.३) |
परमव्ययम् | पर (२.१)–अव्यय (२.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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ना | हं | प्र | का | शः | स | र्व | स्य |
यो | ग | मा | या | स | मा | वृ | तः |
मू | ढो | ऽयं | ना | भि | जा | ना | ति |
लो | को | मा | म | ज | म | व्य | यम् |