Summary
Arjuna Said What is that Brahman ? What is termed the Lord-of-the-self (adhyatma) ? What is action ? O the Best-of-persons ! What is stated to be the Lord-of -material-things (adhibhuta) ? What is called Lord-of-divinities (adhidaiva) ?
पदच्छेदः
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किं | क (१.१) |
तद्ब्रह्म | तद् (१.१)–ब्रह्मन् (१.१) |
किमध्यात्मं | क (१.१)–अध्यात्म (१.१) |
किं | क (१.१) |
कर्म | कर्मन् (१.१) |
पुरुषोत्तम | पुरुषोत्तम (८.१) |
अधिभूतं | अधिभूत (१.१) |
च | च (अव्ययः) |
किं | क (१.१) |
प्रोक्तम् | प्रोक्त (√प्र-वच् + क्त, १.१) |
अधिदैवं | अधिदैव (१.१) |
किमुच्यते | क (१.१)–उच्यते (√वच् प्र.पु. एक.) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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किं | त | द्ब्र | ह्म | कि | म | ध्या | त्मं |
किं | क | र्म | पु | रु | षो | त्त | म |
अ | धि | भू | तं | च | किं | प्रो | क्त |
म | धि | दै | वं | कि | मु | च्य | ते |