Summary
That person endowed with a steady mind, with devotion and also with the Yoga-power, reaches at the time of journey that Supreme Divine Soul, by fixing properly the life-breath in between his eye brows.
पदच्छेदः
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प्रयाणकाले | प्रयाण–काल (७.१) |
मनसाचलेन | मनस् (३.१)–अचल (३.१) |
भक्त्या | भक्ति (३.१) |
युक्तो | युक्त (√युज् + क्त, १.१) |
योगबलेन | योग–बल (३.१) |
चैव | च (अव्ययः)–एव (अव्ययः) |
भ्रुवोर्मध्ये | भ्रू (६.२)–मध्य (७.१) |
प्राणमावेश्य | प्राण (२.१)–आवेश्य (√आ-वेशय् + ल्यप्) |
सम्यक्स | सम्यक् (अव्ययः)–तद् (१.१) |
तं | तद् (२.१) |
परं | पर (२.१) |
पुरुषमुपैति | पुरुष (२.१)–उपैति (√उप-इ लट् प्र.पु. एक.) |
दिव्यम् | दिव्य (२.१) |
छन्दः
उपजातिः [११]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ | १२ |
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प्र | या | ण | का | ले | म | न | सा | च | ले | न |
भ | क्त्या | यु | क्तो | यो | ग | ब | ले | न | चै | व |
भ्रु | वो | र्म | ध्ये | प्रा | ण | मा | वे | श्य | स | म्य |
क्स | तं | प | रं | पु | रु | ष | मु | पै | ति | दि | व्यम् |