Summary
He, who meditates continuously on the Ancient Seer, the Ruler, the Subtler than the subtle, the Supporter of all, the Unimaginable-formed, the Sun-coloured, and That which is beyond the darkness;
पदच्छेदः
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कविं | कवि (२.१) |
पुराणमनुशासितारमणोरणीयांसमनुस्मरेद्यः | पुराण (२.१)–अनुशासितृ (२.१)–अणु (५.१)–अणीयस् (२.१)–अनुस्मरेत् (√अनु-स्मृ विधिलिङ् प्र.पु. एक.)–यद् (१.१) |
सर्वस्य | सर्व (६.१) |
धातारमचिन्त्यरूपमादित्यवर्णं | धातृ (२.१)–अचिन्त्य–रूप (२.१)–आदित्य–वर्ण (२.१) |
तमसः | तमस् (५.१) |
परस्तात् | परस्तात् (अव्ययः) |
छन्दः
उपजातिः [११]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९ | १० | ११ |
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क | विं | पु | रा | ण | म | नु | शा | सि | ता | र |
म | णो | र | णी | यां | स | म | नु | स्म | रे | द्यः |
स | र्व | स्य | धा | ता | र | म | चि | न्त्य | रू | प |
मा | दि | त्य | व | र्णं | त | म | सः | प | र | स्तात् |