Summary
Reciting the single-syllabled Om, the very Brahman; meditating on Me; whosoever travels well, casting away [his] body-surely he attains My State.
पदच्छेदः
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ओमित्येकाक्षरं | ॐ (अव्ययः)–इति (अव्ययः)–एक–अक्षर (२.१) |
ब्रह्म | ब्रह्मन् (२.१) |
व्याहरन्मामनुस्मरन् | व्याहरत् (√व्या-हृ लङ् प्र.पु. एक.)–मद् (२.१)–अनुस्मरत् (√अनु-स्मृ + शतृ, १.१) |
यः | यद् (१.१) |
प्रयाति | प्रयाति (√प्र-या लट् प्र.पु. एक.) |
त्यजन्देहं | त्यजत् (√त्यज् + शतृ, १.१)–देह (२.१) |
स | तद् (१.१) |
याति | याति (√या लट् प्र.पु. एक.) |
परमां | परम (२.१) |
गतिम् | गति (२.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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ओ | मि | त्ये | का | क्ष | रं | ब्र | ह्म |
व्या | ह | र | न्मा | म | नु | स्म | रन् |
यः | प्र | या | ति | त्य | ज | न्दे | हं |
स | या | ति | प | र | मां | ग | तिम् |