Summary
[The scriptures] speak of This as Unmanifest and Changeless and declare This is to be the highest Goal. Having attained which people do not return, this is My highest abode.
पदच्छेदः
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अव्यक्तो | अव्यक्त (१.१) |
ऽक्षर | अक्षर (१.१) |
इत्युक्तस् | इति (अव्ययः)–उक्त (√वच् + क्त, १.१) |
तमाहुः | तद् (२.१)–आहुः (√अह् लिट् प्र.पु. बहु.) |
परमां | परम (२.१) |
गतिम् | गति (२.१) |
यं | यद् (२.१) |
प्राप्य | प्राप्य (√प्र-आप् + ल्यप्) |
न | न (अव्ययः) |
निवर्तन्ते | निवर्तन्ते (√नि-वृत् लट् प्र.पु. बहु.) |
तद्धाम | तद् (१.१)–धामन् (१.१) |
परमं | परम (१.१) |
मम | मद् (६.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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अ | व्य | क्तो | ऽक्ष | र | इ | त्यु | क्त |
स्त | मा | हुः | प | र | मां | ग | तिम् |
यं | प्रा | प्य | न | नि | व | र्त | न्ते |
त | द्धा | म | प | र | मं | म | म |