Summary
Departing at what times the Yogins attain the non-return or the return only-those times I shall declare to you, O chief of the Bharatas !
पदच्छेदः
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यत्र | यत्र (अव्ययः) |
काले | काल (७.१) |
त्वनावृत्तिमावृत्तिं | तु (अव्ययः)–अनावृत्ति (२.१)–आवृत्ति (२.१) |
चैव | च (अव्ययः)–एव (अव्ययः) |
योगिनः | योगिन् (१.३) |
प्रयाता | प्रयात (√प्र-या + क्त, १.३) |
यान्ति | यान्ति (√या लट् प्र.पु. बहु.) |
तं | तद् (२.१) |
कालं | काल (२.१) |
वक्ष्यामि | वक्ष्यामि (√वच् लृट् उ.पु. ) |
भरतर्षभ | भरत–ऋषभ (८.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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य | त्र | का | ले | त्व | ना | वृ | त्ति |
मा | वृ | त्तिं | चै | व | यो | गि | नः |
प्र | या | ता | या | न्ति | तं | का | लं |
व | क्ष्या | मि | भ | र | त | र्ष | भ |