Summary
For, these two bright and dark courses are considered to be perpetual for the world. One attains the non-return by the first of these, and one returns back by the other one.
पदच्छेदः
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शुक्लकृष्णे | शुक्ल–कृष्ण (१.२) |
गती | गति (१.२) |
ह्येते | हि (अव्ययः)–एतद् (१.२) |
जगतः | जगन्त् (६.१) |
शाश्वते | शाश्वत (१.२) |
मते | मत (√मन् + क्त, १.२) |
एकया | एक (३.१) |
यात्यनावृत्तिम् | याति (√या लट् प्र.पु. एक.)–अनावृत्ति (२.१) |
अन्ययावर्तते | अन्य (३.१)–आवर्तते (√आ-वृत् लट् प्र.पु. एक.) |
पुनः | पुनर् (अव्ययः) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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शु | क्ल | कृ | ष्णे | ग | ती | ह्ये | ते |
ज | ग | तः | शा | श्व | ते | म | ते |
ए | क | या | या | त्य | ना | वृ | त्ति |
म | न्य | या | व | र्त | ते | पु | नः |