Summary
The Bhagavat said The immutable Absolute is the Brahman. Its intrinsic nature is called the Lord of the self. The emitting activity that causes the birth of both the animate and the inanimate is named 'action '.
पदच्छेदः
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अक्षरं | अक्षर (१.१) |
ब्रह्म | ब्रह्मन् (१.१) |
परमं | परम (१.१) |
स्वभावो | स्वभाव (१.१) |
ऽध्यात्ममुच्यते | अध्यात्म (१.१)–उच्यते (√वच् प्र.पु. एक.) |
भूतभावोद्भवकरो | भूत (√भू + क्त)–भाव–उद्भव–कर (१.१) |
विसर्गः | विसर्ग (१.१) |
कर्मसंज्ञितः | कर्मन्–संज्ञित (१.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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अ | क्ष | रं | ब्र | ह्म | प | र | मं |
स्व | भा | वो | ऽध्या | त्म | मु | च्य | ते |
भू | त | भा | वो | द्भ | व | क | रो |
वि | स | र्गः | क | र्म | सं | ज्ञि | तः |