Summary
Being unaware of the immutable highest Absolute Supreme nature of Mine, the deluded ones disregard Me dwelling in the human body.
पदच्छेदः
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अवजानन्ति | अवजानन्ति (√अव-ज्ञा लट् प्र.पु. बहु.) |
मां | मद् (२.१) |
मूढा | मूढ (√मुह् + क्त, १.३) |
मानुषीं | मानुष (२.१) |
तनुमाश्रितम् | तनु (२.१)–आश्रित (√आ-श्रि + क्त, २.१) |
परं | पर (२.१) |
भावमजानन्तो | भाव (२.१)–अजानत् (१.३) |
ममाव्ययमनुत्तमम् | मद् (६.१)–अव्यय (२.१)–अनुत्तम (२.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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अ | व | जा | न | न्ति | मां | मू | ढा |
मा | नु | षीं | त | नु | मा | श्रि | तम् |
प | रं | भा | व | म | जा | न | न्तो |
म | म | भू | त | म | हे | श्व | रम् |