Summary
I give heat; I hold back and also end forth rains; I am immortality and also death, the real and also the unreal, O Arjuna !
पदच्छेदः
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तपाम्यहम् | तपामि (√तप् लट् उ.पु. )–मद् (१.१) |
अहं | मद् (१.१) |
वर्षं | वर्ष (२.१) |
निगृह्णाम्युत्सृजामि | निगृह्णामि (√नि-ग्रह् लट् उ.पु. )–उत्सृजामि (√उत्-सृज् लट् उ.पु. ) |
च | च (अव्ययः) |
अमृतं | अमृत (१.१) |
चैव | च (अव्ययः)–एव (अव्ययः) |
मृत्युश्च | मृत्यु (१.१)–च (अव्ययः) |
सदसच्चाहमर्जुन | सत् (√अस् + शतृ, १.१)–असत् (१.१)–च (अव्ययः)–मद् (१.१)–अर्जुन (८.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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त | पा | म्य | ह | म | हं | व | र्षं |
नि | गृ | ह्णा | म्यु | त्सृ | जा | मि | च |
अ | मृ | तं | चै | व | मृ | त्यु | श्च |
स | द | स | च्चा | ह | म | र्जु | न |