Summary
Whosoever with devotion offers Me a leaf, a flower, a fruit, or [a little] water, I taste that offered with devotion by one with well-controlled self (mind).
पदच्छेदः
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पत्रं | पत्त्र (२.१) |
पुष्पं | पुष्प (२.१) |
फलं | फल (२.१) |
तोयं | तोय (२.१) |
यो | यद् (१.१) |
मे | मद् (४.१) |
भक्त्या | भक्ति (३.१) |
प्रयच्छति | प्रयच्छति (√प्र-यम् लट् प्र.पु. एक.) |
तदहं | तद् (२.१)–मद् (१.१) |
भक्त्युपहृतमश्नामि | भक्ति–उपहृत (√उप-हृ + क्त, २.१)–अश्नामि (√अश् लट् उ.पु. ) |
प्रयतात्मनः | प्रयत (√प्र-यम् + क्त)–आत्मन् (६.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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प | त्रं | पु | ष्पं | फ | लं | तो | यं |
यो | मे | भ | क्त्या | प्र | य | च्छ | ति |
त | द | हं | भ | क्त्यु | प | हृ | त |
म | श्ना | मि | प्र | य | ता | त्म | नः |