Summary
O scorcher of foes ! Having no faith in this Dharma, persons do not attain Me and remain eternally in the circuit of mundane existence, wrought with death.
पदच्छेदः
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अश्रद्दधानाः | अश्रद्दधान (१.३) |
पुरुषा | पुरुष (१.३) |
धर्मस्यास्य | धर्म (६.१)–इदम् (६.१) |
परंतप | परंतप (८.१) |
यं | यद् (२.१) |
प्राप्य | प्राप्य (√प्र-आप् + ल्यप्) |
न | न (अव्ययः) |
निवर्तन्ते | निवर्तन्ते (√नि-वृत् लट् प्र.पु. बहु.) |
तद्धाम | तद् (१.१)–धामन् (१.१) |
परमं | परम (१.१) |
मम | मद् (६.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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अ | श्र | द्द | धा | नाः | पु | रु | षा |
ध | र्म | स्या | स्य | प | रं | त | प |
अ | प्रा | प्य | मां | नि | व | र्त | न्ते |
मृ | त्यु | सं | सा | र | व | र्त्म | नि |