Summary
This entire universe is pervaded by Me, having the unmanifest form (aspect); all beings exist in Me and I do not exist in them.
पदच्छेदः
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मया | मद् (३.१) |
ततमिदं | तत (√तन् + क्त, १.१)–इदम् (१.१) |
सर्वं | सर्व (१.१) |
जगदव्यक्तमूर्तिना | जगन्त् (१.१)–अव्यक्त–मूर्ति (३.१) |
मत्स्थानि | मद्–स्थ (१.३) |
सर्वभूतानि | सर्व–भूत (१.३) |
न | न (अव्ययः) |
चाहं | च (अव्ययः)–मद् (१.१) |
तेष्ववस्थितः | तद् (७.३)–अवस्थित (√अव-स्था + क्त, १.१) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
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म | या | त | त | मि | दं | स | र्वं |
ज | ग | द | व्य | क्त | मू | र्ति | ना |
म | त्स्था | नि | स | र्व | भू | ता | नि |
न | चा | हं | ते | ष्व | व | स्थि | तः |