Summary
Just as the mighty wind exists in the ether, always moving [in it] everywhere, in the same manner all beings exist in Me. Be sure of it.
पदच्छेदः
Click to Toggle
यथाकाशस्थितो | यथा (अव्ययः)–आकाश–स्थित (√स्था + क्त, १.१) |
नित्यं | नित्यम् (अव्ययः) |
वायुः | वायु (१.१) |
सर्वत्रगो | सर्वत्रग (१.१) |
महान् | महत् (१.१) |
एतद्योनीनि | एतद्–योनि (१.३) |
भूतानि | भूत (१.३) |
सर्वाणीत्युपधारय | सर्व (१.३)–इति (अव्ययः)–उपधारय (√उप-धारय् लोट् म.पु. ) |
छन्दः
अनुष्टुप् [८]
छन्दोविश्लेषणम्
१ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ |
---|
य | था | का | श | स्थि | तो | नि | त्यं |
वा | युः | स | र्व | त्र | गो | म | हान् |
त | था | स | र्वा | णि | भू | ता | नि |
म | त्स्था | नी | त्यु | प | धा | र | य |